एक ऐसा औषधीय नुस्खा है जो आयुर्वेद में वर्णित यकृत एवं प्लीहा जन्य रोगों में अचूक साबित हुआ है। अनन्तर प्र्यत्नोप्रयान्त एवं अति दुर्लभ जड़ी बूटियों से बना यह आयुर्वेदिक मिश्रण यकृत ( LIVER ) की गंभीरतम व्याधियों को ठीक करने में भी सक्षम है। इस औषधि का न केवल यकृत व्याधियों में सफल प्रयोग है अपितु पेट जन्य व्याधियां, अग्नाशय जन्य व्याधियों जैसे – शुगर , बदा एवं लटकता हुआ पेट, फैटी लीवर ,चेहरे पर झुर्रियां,झाइयाँ, कील, मुहांसे, आँखों के नीचे कालापन, काले एवं सफ़ेद दाग,फोड़े फिन्सियाँ इत्यादि का भी समूल नाश होता है। इस मिश्रण में डाली गयी औषधियां हजारों वर्षों से आयुर्वेद में प्रयोग की जाती रहीं हैं एवं पूर्णतया वैज्ञानिक अध्ययन के उपरान्त ही इस मिश्रण को व्यावसायिक तौर से उपलब्ध करवाया गया है। मुख्यता यकृत प्लीहन्तक चूर्ण में निम्न आयुर्वेदिक औषधियां डाली गयी हैं।
यकृत प्लीहन्तक चूर्ण के विशिष्ट उपयोग
1. फैटी लीवर ( यकृत में वसा का जमाव ) – FATTY LIVER
2. LIVER FAILURE – अधिक शराब पीने से लीवर का ख़राब हो जाना
3. LIVER CIRRHOSIS – HEPATITIS A, B, C, D, E, F, G या शराब और एंटीबायोटिक के दुष्प्रभाव से लीवर का सिकुड़ जाना
4. बढ़ा हुआ पेट – मोटा एवं लटकता हुआ पेट शीघ्र ही ठीक हो जाता है। यह चूर्ण बढे हुए पेट की एकमात्र असरदार औषधि है।
5. शुगर पर भी अनुकूल प्रभाव – शीघ्र ही sugar को control करता है
6. खून को साफ़ करता है। चेहरे पर झुर्रियां,झाइयाँ, कील, मुहांसे, आँखों के नीचे कालापन शीघ्र दूर करता है।
7. अंतड़ियों को साफ़ करता है एवं कब्ज ( पुरानी से पुरानी CONSTIPATION ) को बिना किसी दुष्प्रभाव के दूर करता है
8. शारीर में हल्कापन,सफूर्ती, ताजगी एवं नया उत्साह उत्पन्न करता है।
यकृत प्लीहन्तक चूर्ण के घटक
1. कटुकी
2. भूमि आमला
3. मकोय
4. पुनर्नवा
5. भृंगराज
6. कालमेघ
7. कासनी
8. शर्पुन्खा
Dosage and Methods of Administration
1/2 to 1 teaspoonful twice daily, with plain water or fruit juice, after meals.
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